स्वतन्त्रता संग्राम की लडाई में मेरे बाबा स्व. अक्षयबर सिंह जी की सक्रिय भूमिका रही है। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर सन १९२१ में १६ वर्ष की उम्र में ही स्कूली शिक्षा त्याग करके स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े। गाँधी जी के असहयोग अन्दोलन, सत्याग्रह में भाग लिया।बाबा राघव दास के जेल जाने के बाद कांग्रेस ने पुरे पुर्वांचल की बाग-डोर उनके हाथ में सौंप दी। सन १९२२ में चौरा चौरी चौरा कांड के संयोजक रहे। चौरा चौरी कांड के बाद गोरखपुर के स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटना "सनहा" सत्याग्रह का संचालन १९२९ में किया। इस सक्रिय कार्य के लिये ०८ माह कारावास व ४०/-रू.अर्थदंड की सजा सुनाई गयी। १९३१-३२ एवं १९४०-४२ में जेल की यात्राएँ की एवं ०३ वर्ष नजर बन्दी के अलावा अर्थदंड के बदले कारावास भोगा। विदेशी कपड़ा एवं सामान,ताड़ी शराब बन्दी तथा नमक आन्दोलन में चुनौतीपूर्ण नेतृत्व किया। अर्थदंड की वसूली में बार-बार घर का सामान नीलामी हुआ और पत्नी-बच्चे कई-कई दिनो तक खुले आकाश के नीचे रहे। इसके अलावा कान्स्प्रेसी केस के नाम से मुकदमा चला जिसमें १८ माह अपने २१ साथियों ....
स्व० अक्षयबर सिंह
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व विधायक (1947-67)